कुछ ख़ास शब्दों के मायने और क़ुरान की रोशनी में.........
गन्ज बख्श - इसके माने हैं खजाने बख्शने वाला| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-
"और आसमान व ज़मीन के खज़ाने अल्लाह की ही मिल्कियत हैं| (सूरह मुनफ़िकून 63/7)
बेशक अल्लाह ताला जिसे चाहता हैं बेशुमार रोज़ी देता हैं| (सूरह अल इमरान 3/37)
गौसे आज़म - इसके माने हैं सबसे बड़ा फ़रियाद सुनने वाला| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-
बेकस की पुकार को जबकि वो पुकारे, कौन कबूल करके सख्ती को दूर कर देता हैं? और तुम्हे ज़मीन मे खलीफ़ा बनाया हैं, क्या अल्लाह के सिवा और भी माबूद हैं? (सूरह नमल 27/62)
गरीब/बन्दा नवाज़ - इसके माने हैं गरीबो/बन्दो को नवाज़ने वाला| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-
"ऐ लोगो तुम सब अल्लाह के मोहताज हो और अल्लाह बेनियाज़ खूबियो वाला हैं| (सूरह फ़ातिर 35/15)
मुश्किलकुशा - इसके माने हैं तमाम मुशकिलो को दूर करने वाला| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-
"और अगर तुझ को अल्लाह ताला कोई तकलीफ़ पहुंचाये तो इसको दूर करने वाला सिवाये अल्लाह ताला के और कोई नही| और अगर तुझ को कोई फ़ायदा पहुंचाना चाहे तो वो हर चीज़ पर कुदरत रखता हैं| (सूरह अनआम 6/17)
दाता - इसके माने हैं सबकुछ देने वाला| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-
"जिसे चाहता हैं बेटिया देता हैं जिसे चाहता हैं बेटे देता हैं| या इन्हे जमा कर देता हैं बेटे भी बेटिया भी और जिसे चाहता हैं बांझ कर देता हैं| (सूरह शूअरा 42/49, 50)
दस्तगीर - इसके माने हैं मुसीबत के वक्त थामने वाला| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-
"और जब इन्सान को कोई तकलीफ़ पहुंचती हैं तो हम को पुकारता हैं लेटे भी, बैठे भी, खड़े भी| फ़िर जब हम इसकी तकलीफ़ इससे हटा देते हैं तो वो ऐसा हो जाता हैं के इसने अपनी तकलीफ़ के लिये जो इसे पहुंची थी हमे कभी पुकारा ही न था| (सूरह युनुस 10/12)